महाराष्ट्र विधानसभा 2024: मुस्लिम वोटर्स की राजनीति, क्या मुस्लिम विधायक 13 का रिकॉर्ड तोड़ेंगे?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की जंग अब अपने अंतिम दौर में है, जहां 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। इस चुनाव में 288 विधानसभा सीटों पर कुल 4136 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें 420 मुस्लिम प्रत्याशी भी शामिल हैं। यह आंकड़ा इस बार के चुनाव में मुस्लिम राजनीति की अहमियत और उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में अहम सवाल खड़े करता है।
मुस्लिम मतदाताओं का महत्व
महाराष्ट्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 12% है, जो राज्य की 60 विधानसभा सीटों पर प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता 50% या उससे अधिक हैं, जैसे मालेगांव विधानसभा सीट, जहां मुस्लिम वोटर्स का आंकड़ा 60% के करीब है। इन इलाकों में मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत या हार का फैसला सीधे तौर पर राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर निर्भर करेगा।महाराष्ट्र के इतिहास में 13 से अधिक मुस्लिम विधायक कभी नहीं जीत सके हैं। 1962 से लेकर 2019 तक हुए विधानसभा चुनावों में मुस्लिम विधायकों की संख्या हमेशा 10% के नीचे रही है, जबकि मुस्लिम आबादी 12% के आसपास है। अब सवाल यह है कि इस बार क्या यह रिकॉर्ड टूटेगा और मुस्लिम विधायक की संख्या 13 का आंकड़ा पार करेगी या नहीं?
विधानसभा चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशियों का वितरण
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या 420 है, जिनमें से 202 उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों से मैदान में हैं, जबकि 218 उम्मीदवार निर्दलीय हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने वाली प्रमुख पार्टियों में महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति (NDA) शामिल हैं।
महाविकास अघाड़ी (MVA)
महाविकास अघाड़ी (MVA) में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और शरद पवार की एनसीपी प्रमुख पार्टियां हैं। इस गठबंधन ने इस बार 14 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस ने अपनी 101 सीटों में से 9 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। शिवसेना (यूबीटी) ने केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार, हारुन खान, को वर्सोवा सीट से चुनाव में उतारा है। शरद पवार की एनसीपी ने 4 मुस्लिम प्रत्याशी दिए हैं, जिनमें से 3 मुंबई क्षेत्र से और एक मराठवाड़ा क्षेत्र से हैं।
महायुति (NDA)
महायुति में बीजेपी ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा, लेकिन सहयोगी दलों जैसे एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी ने मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। शिंदे ने सिल्लोड सीट से अब्दुल सत्तार अब्दुल नबी को उम्मीदवार बनाया है। अजीत पवार की एनसीपी ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनमें मुम्ब्रा, मानखुर्द नगर, अणुशक्ति नगर, बांद्रा पूर्वी और हसन मुशरिफ शामिल हैं।
ओवैसी और सपा का मुस्लिम कार्ड
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने इस बार 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जिनमें से 12 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार हैं। सपा ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, और उनकी पार्टी ने 8 सीटों में से 6 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इन दोनों दलों ने मुस्लिम वोट बैंक को अपनी राजनीति का अहम हिस्सा बनाने की कोशिश की है।
निर्दलीय उम्मीदवारों की स्थिति
महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों में से 150 सीटों पर कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है, जबकि 50 सीटों पर केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्से को मुख्य राजनीतिक दलों से टिकट नहीं मिल सका है, और ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों का एक बड़ा समूह चुनावी मैदान में उतरा है। मालेगांव जैसे शहरों में तो 13 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, और संभाजीनगर पूर्व सीट पर भी 17 मुस्लिम प्रत्याशी हैं।
मुस्लिम महिला उम्मीदवारों की संख्या
इस चुनाव में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय है। इस बार 22 मुस्लिम महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी हैं, जो राज्य के चुनावी परिदृश्य में एक नई दिशा को दर्शाता है। खासतौर पर मालेगांव और संभाजीनगर जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या से यह संकेत मिलता है कि मुस्लिम समाज में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ रही है।
क्या इस बार टूटेगा 13 मुस्लिम विधायकों का रिकॉर्ड?
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों की हमेशा से एक अहम भूमिका रही है। 1962 से लेकर 2019 तक मुस्लिम विधायकों की संख्या कभी 13 से ज्यादा नहीं पहुंची। 1972, 1980 और 1993 के चुनावों में ही मुस्लिमों के 13 विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए थे। पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम वोटर्स ने अपने राजनीतिक विकल्प तलाशे हैं, और कांग्रेस, एनसीपी के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी को भी समर्थन दिया है।इस बार चुनावी जंग में मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या में बढ़ोतरी और प्रमुख दलों द्वारा उनके टिकट दिए जाने से उम्मीदें जताई जा रही हैं कि इस बार मुस्लिम विधायक का रिकॉर्ड 13 का आंकड़ा पार कर सकता है। हालांकि, यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि मुस्लिम बहुल इलाकों में वोट किस दिशा में जाते हैं और किस पार्टी के उम्मीदवारों को फायदा होता है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम समुदाय की भूमिका अहम हो सकती है। उनके वोटों की दिशा तय करने वाली सीटें राज्य के चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं। मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या में इजाफा और उनके टिकट दिए जाने से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इस बार 13 मुस्लिम विधायकों का रिकॉर्ड टूटेगा या नहीं। राजनीतिक दलों की रणनीतियां और मुस्लिम समाज का समर्थन इस बार के चुनावी परिदृश्य को और भी दिलचस्प बना देंगे।
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