रूस-यूक्रेन युद्ध, महंगाई और बेरोजगारी ट्रंप के सत्ता में लौटने से क्या बदल सकता है?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लिए डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदवारी एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आई है। यह उनकी राजनीति में एक नई पारी की शुरुआत नहीं है, बल्कि उनके दूसरे और अंतिम कार्यकाल की ओर कदम बढ़ाने का संकेत है। अमेरिका के 247 वर्षों के इतिहास में यह एक ऐसा पल है, जो शायद भविष्य में अमिट छाप छोड़ने वाला साबित हो। जब महंगाई और आर्थिक संकट के चलते अमेरिकी जनता डेमोक्रेटिक पार्टी से नाराज़ हो चुकी है, तो रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हैं।
अमेरिका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और ट्रंप का सत्ता में लौटना
अमेरिका की अर्थव्यवस्था वर्तमान में एक गंभीर संकट से गुजर रही है। महंगाई के कारण अमेरिकी मध्यवर्ग बहुत परेशान है। $5 में एक अंडा खरीदना, या महंगी दूध की कीमतें, अमेरिकी नागरिकों के लिए एक नई चुनौती बन चुकी हैं। इसके अलावा, गृहहीनता की बढ़ती संख्या, मकान खरीदने की मुश्किल, और कर्ज़ की भारी बारीश ने अमेरिकी जीवन को दिक्कत में डाल दिया है।यूक्रेन युद्ध में अमेरिकी सरकार द्वारा की गई भारी धनराशि की मदद, अमेरिका की आंतरिक समस्याओं को सुलझाने के बजाय उसे और बढ़ा रही है। ऐसे में ट्रंप की वापसी, जो पहले भी अपने "अमेरिका फर्स्ट" के सिद्धांत के तहत नीतियां बनाते रहे हैं, उन्हें एक बार फिर से अमेरिकी जनता का समर्थन मिल सकता है। उनका नारा "अमेरिका पहले" अब भी कुछ लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियाँ और अमेरिका के लिए उनका भविष्य
ट्रंप की नीतियाँ हमेशा ही विवादों में रही हैं। उनके प्रशंसकों का मानना है कि ट्रंप ने जो वादे किए, उन्हें पूरा करने में सफलता प्राप्त की। उनका सबसे प्रमुख एजेंडा था - "अमेरिका फर्स्ट।" इस नीति के तहत, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में वैश्विक व्यापार समझौतों से अमेरिका को बाहर निकाला, विदेशी कंपनियों पर आयात शुल्क बढ़ाए, और मैन्युफैक्चरिंग को अमेरिका में ही बढ़ावा देने की कोशिश की।हालांकि, ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी व्यापारियों को कुछ हद तक फायदा हुआ, लेकिन इसके परिणामस्वरूप महंगाई में इजाफा हुआ। मैन्युफैक्चरिंग के लिए कुशल मजदूरों की कमी, और स्वदेशी उद्योगों के न होने के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था कुछ हद तक प्रभावित हुई।2024 के चुनाव में, ट्रंप के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी अमेरिकी मध्यवर्ग का भरोसा जीतना। महंगाई को कम करने, बेरोजगारी दर को घटाने, और घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए ट्रंप को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप की स्थिति अहम होगी, क्योंकि यह युद्ध न केवल यूक्रेन के लिए, बल्कि अमेरिकी जनता के लिए भी भारी पड़ रहा है।
यूक्रेन युद्ध और ट्रंप की विदेश नीति
रूस-यूक्रेन युद्ध, जो 2022 से चल रहा है, ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और विशेष रूप से अमेरिका को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। जो बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन को भारी सैन्य और आर्थिक सहायता दी है, लेकिन इसके चलते अमेरिकी कोष पर भी दबाव पड़ा है। ट्रंप का मानना है कि अगर अमेरिका अपनी सहायता रोक दे, तो रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जल्द खत्म हो सकता है।ट्रंप के समर्थकों का यह भी मानना है कि वे रूस के साथ बेहतर संबंध बना सकते हैं, जो अमेरिकी कूटनीति के लिए फायदेमंद हो सकता है। उनकी विदेश नीति में रूस के साथ "दोस्ती" बनाने की संभावना जताई जाती है। अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं, तो वह रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका की भूमिका को और सीमित कर सकते हैं, जिससे अमेरिका के आर्थिक खजाने पर बोझ कम होगा।
भारत-अमेरिका संबंध और चीन से चुनौती
2024 में, ट्रंप के लिए सबसे बड़ी चुनौती चीन और भारत के साथ उनके संबंधों को संतुलित करना होगा। चीन की बढ़ती शक्ति और उसके विश्व व्यापार में प्रभाव को देखते हुए, अमेरिका को भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना आवश्यक होगा। भारत, जो चीन के खिलाफ एक प्राकृतिक सहयोगी बनकर उभरा है, ट्रंप के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार हो सकता है।हालांकि, ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत के लिए कुछ अच्छे पल थे, लेकिन उनके व्यापारिक नीतियों ने भारतीय व्यापारियों को भी परेशान किया था। भारतीय व्यापारियों ने दूसरे देशों से सस्ता माल खरीदकर अमेरिका निर्यात किया था, जिससे ट्रंप नाराज हो गए थे। ऐसे में, ट्रंप का यह निर्णय कि भारत को व्यापारिक रूप से कैसे संभाला जाए, बहुत महत्वपूर्ण होगा।इसके साथ ही, अगर ट्रंप अपनी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत व्यापारिक शुल्क बढ़ाते हैं, तो इसका भारत के व्यापार पर विपरीत असर पड़ सकता है। हालांकि, एलन मस्क और उनकी कंपनी, स्टारलिंक के भारत में विस्तार की संभावना पर भी चर्चा हो सकती है, जिससे भारत में डिजिटल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
भारत से प्रवासियों पर असर और अमेरिका की सख्त इमिग्रेशन नीतियाँ
भारत से अमेरिका जाने वाले पेशेवरों के लिए ट्रंप के शासन में मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। उनके पहले कार्यकाल के दौरान, इमिग्रेशन नीतियों को कड़ा किया गया था, और एच1बी वीजा धारकों के लिए चुनौतियाँ बढ़ गई थीं। अगर ट्रंप फिर से सत्ता में आते हैं, तो भारत से अमेरिका जाने वाले प्रवासियों को और भी कठिनाइयाँ हो सकती हैं। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों, विशेष रूप से कंप्यूटर इंजीनियरों के लिए जॉब के अवसर सीमित हो सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप और उनके घरेलू मुद्दे
ट्रंप के लिए एक और चुनौती अमेरिका के अंदर गृहहीनता, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों का समाधान करना होगा। जैसा कि पहले बताया गया, वर्तमान में अमेरिका के अंदर बढ़ती महंगाई, मकान की कीमतों में वृद्धि, और बेरोजगारी दर ने अमेरिकी नागरिकों को परेशान कर रखा है।ट्रंप को अपनी नीतियों को इस तरह से संशोधित करना होगा कि वे इन समस्याओं का समाधान करने में सफल हो सकें। उनके समर्थकों को उम्मीद है कि ट्रंप अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर ला सकते हैं, खासकर जब वह अपने "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के तहत स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देंगे। हालांकि, ट्रंप के आलोचक यह कहते हैं कि उनका यह दृष्टिकोण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को और भी अस्थिर बना सकता है, क्योंकि अमेरिका में कुशल श्रमिकों की कमी है और विदेशी व्यापारिक संबंधों में तनाव हो सकता है।
ट्रंप का भविष्य और अमेरिका का परिदृश्य
डोनाल्ड ट्रंप का फिर से राष्ट्रपति बनने के लिए कदम बढ़ाना निश्चित रूप से अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। उनके दूसरे कार्यकाल में कई चुनौतियाँ होंगी उन्हें महंगाई, बेरोजगारी, और वैश्विक कूटनीति के जटिल मुद्दों से निपटना होगा। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की बढ़ती ताकत, और भारत के साथ संबंधों को लेकर उनकी नीति अमेरिका और दुनिया भर के लिए महत्वपूर्ण होगी।ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर उनका "अमेरिका फर्स्ट" दृष्टिकोण न केवल घरेलू राजनीति, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर भी प्रभाव डालेगा। देखना यह होगा कि वे इन वैश्विक और आंतरिक चुनौतियों से किस तरह निपटते हैं और क्या वे सचमुच अमेरिका का भविष्य बदलने में सक्षम होंगे।
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